human body Gk in Hindi |
HUMAN BODY HUMAN BODY
⇨ मानव शरीर मैं 206 हड्डिया होती हैं
⇨ जन्म के समय यह 300 हड्डिया होती हैं
⇨ हड्डी +मांसपेशी ⇨ टेंडन
⇨ हड्डी + हड्डी ⇨ लिंगामेंट
⇨ शरीर को मजबूती प्रदान करती हैं
⇨ एक प्रकार संयोजी ऊतक होता हैं
⇨ हड्डियों मैं आस्टियासित होता हैं
⇨ मानव शरीर मैं दो प्रकार की हड्डिया होती हैं
⇨ 1 अक्षीय कंकाल
⇨2 उपांगीय कंकाल
⇨ अक्षीय कंकाल:-
⇨अक्षीय कंकाल मैं शरीर का मुख्य भाग जैसे खोपड़ी,छाती, कशेरुक आते हैं
⇨ खोपड़ी:-
⇨ मनुष्य के अंतकाल को खोपड़ी कहते हैं
⇨ खोपड़ी के भाग मैं 29 हड्डिया आती हैं
⇨ मनुष्य के दिमाग मैं 8 हड्डिया होती हैं
⇨ मानव के चेहरे पर 14 हड्डिया होती हैं
⇨ मानव के कान मैं 6 हड्डिया होती हैं
⇨ गर्दन मैं 1 हड्डी होती हैं जिसका नाम कंठिका हैं यह गंदन को सीधा रखता हैं
⇨कान मैं 6 हड्डिया होती हैं प्रत्येक कान मैं 3 हड्डी होती हैं
⇨ मानव शरीर की सबसे छोटी हड्डी स्टेपीज होती हैं जो की कण मैं पायी जाती हैं
रीढ़:-
⇨ गर्दन को धड़ से लचीलापन प्रदान करती हैं
⇨सिर को सीधा रखने मैं सहायता प्रदान करती हैं
⇨ संख्या ⇨26 हैं
⇨सांप एक ऐसा जीव हैं जिसमे 200 से 400 हड्डिया होती हैं
छाती:-
⇨इसमें 24 हड्डिया होती हैं
⇨प्रत्येक भाग मैं 12 हड्डिया होती हैं
⇨एक हड्डी सभी हड्डिया को आपस मैं जोड़ने का काम करती हैं जिसका नाम
स्टेन्डनम हैं
⇨हाथ की अस्थियाँ प्रमुख रूप से निम्नलिखित होती है
⇨कोहनी एवं कंधे के बीच की अस्थि ह्यूमरस कहलाती है। ह्यूमरस के लम्बे मध्य भाग को शाफ्ट कहते हैं।
रेडियो अलना
⇨कलाई और कोहनी के बीच में दो अस्थियाँ स्थित है। पहली हाथ के बाहर की तरफ एवं दूसरी हाथ के अन्दर की तरफ स्थित है, जिन्हें क्रमशः रेडियो एवं अलना कहते हैं।
(3 ) कलाई की अस्थियाँ -
⇨रेडियो अलना अस्थि जिस स्थान पर हथेली के पास जुड़ी है, वह स्थान कलाई कहलाता है। कलाई का निर्माण छोटी-छोटी आठ अस्थियों से होता है, जिन्हें मणिबन्धिकाएँ (कार्पल्स) कहते हैं।
(4) हाथ के पंजे, अंगुलियों, अंगूठे की अस्थियाँ -
⇨ हथेली में कुल पाँच अस्थियाँ होती है, जिन्हें करमास्थियाँ (मेटा कार्पल्स) कहते हैं। हमारी अंगुलियों एवं अंगूठे में भी अस्थियाँ होती है जिन्हें क्रमशः अंगुलास्थियाँ एवं अंगूठास्थियाँ कहते हैं। प्रत्येक अंगुली में तीन तथा अंगूठे में दो अस्थियाँ होती है।
JUN
12
⇨ टिबीया फिबुला -
⇨घुटने से टखने के बीच टिबिया एवं फिबुला नामक दो अस्थियाँ पाई जाती है। टिबिया अन्दर एवं फिबुला बाहर की ओर स्थित होती है।
टखने की अस्थियाँ-
टखना कुल सात अस्थियों से मिलकर बना होता है, जिन्हें गुल्फास्थियाँ (टार्सल्स) कहते हैं। ये ऐड़ी का निर्माण करती है।
तलवे, अंगुलियों, अंगुठे की अस्थियाँ -
पैर के तलवे में पाँच अस्थियाँ होती है, जिन्हें प्रपदिकाएँ (मेटा टार्सल्स) कहते हैं। पैर की प्रत्येक अंगुली में तीन एवं अंगूठे में दो अस्थियाँ होती है।
- ⇨कन्धे की अस्थि अंस मेखला कहलाती है।
- ⇨कूल्हे की अस्थि को श्रोणी मेखला कहते हैं।
- ⇨अंस मेखला एवं श्रोणी मेखला से क्रमशः हमारे हाथ एवं पैर की अस्थियाँ जुड़ी होती है।
- ⇨ये दोनों मेखलाएँ कंकाल तंत्र का आधार है।
हड्डियों की कुछ महत्वपूर्ण बीमारिया
- ⇨हडडी(यों) और जोड़ों में संक्रमण
- ⇨रीढ की हडडी में क्षय रोग टी बी
- ⇨अस्थि में कर्क रोग बोन कैंस
- ⇨अस्थि भंग हडडी टुटना, फै्क्चर
- ⇨अस्थियो में सूजन स्पोन्डिलाईटिस
- ⇨अस्थिम़ृदुता आसटीओमलेशिया
⇨जोड़ों मे दर्द आरथ्रेलजिआ
- ⇨जोड़ों में सूजन / गठिया आरथ्राईटिस
- ⇨जोड़ों में चोट या मोच
- ⇨जोड़ों में खून हिमआरथ्रोसिस
- ⇨जोड़ों में अधिक पानी हाइडरोसिस
- ⇨जोड़ों में अकडन एनकाइलोसिस
- ⇨7 जोड़ों की सहायक संरचना मे सुजन पैराआरथ्राईटिस
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HUMAN BODY
मानव श्वशन तंत्र
⇨ भोज्य पदार्थो का आक्सीकरण कर ऊर्जा उत्पन्न करने की प्रक्रिया को ही श्वसन कहते हैं
⇨श्वसन दो प्रकर की होते है
बाह्य श्वसन:- ऑक्सीजन का अंदर जाना और कार्बन का बहन जाना ही बाह्य श्वसन होता हैं
सांस अंदर लेते समय ⇨ नाइट्रोजन ⇨78 %
⇨ ऑक्सीजन ⇨20 %
⇨ कार्बन ⇨ 0. 03 %
⇨ जलवाष्प ⇨0 . 5
साँस बाहर करते समय ⇨ नाइट्रोजन ⇨78 %
⇨ ऑक्सीजन ⇨16 %
⇨ कार्बन ⇨ 4 %
⇨ जलवाष्प ⇨6.5%
कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
1.,एम्फिसेमा बीमारी का संबंध किससे होता है?
A. कंठ
B फेफड़े
C. हृदय
D.स्वास नलिया
B फेफड़े
C. हृदय
D.स्वास नलिया
2 मनुष्य में श्वासनाल में जब हवा नहीं होती तो भी वह पिचकती नही है, क्यों?
A. अस्थि छल्लों के कारण
B. दाब के कारण
C उपास्थि छल्लो के कारण
D.काइटिन छल्लो के कारण
B. दाब के कारण
C उपास्थि छल्लो के कारण
D.काइटिन छल्लो के कारण
3 फुफ्फुसीय केशिकाओं का जाल फेफडों की किस संरचना में होता है?
⇨ वायुकोष
B. ऑक्सी झिल्ली
C.ग्रसनी
D.श्वसनी
B. ऑक्सी झिल्ली
C.ग्रसनी
D.श्वसनी
4 किसके ऑक्सीकरण के द्वारा उत्पन्न ऊर्जा को श्वसन कहा जाता है
A. वायुकोष
B. शर्करा
C.माल्टोज
D.ग्लूकोज
B. शर्करा
C.माल्टोज
D.ग्लूकोज
5 मानव शरीर में फेफडों के भीतर गैसीय विनिमय से सम्बद्ध मुख्य संरचनाएँ हैं
A. द्वितीयक श्वसनी
B. वायुकोष
C.प्राथमिक उपशाखाएँ
D.प्राथमिक श्वसनी
B. वायुकोष
C.प्राथमिक उपशाखाएँ
D.प्राथमिक श्वसनी
6 कौन सी क्रिया को आक्सी तथा अनाक्सी श्वसन का कॉमन स्टेप माना जाता है?
A. ग्लाइकोलिसिस (Glycolysis)
B. वाइटल
C.किण्वन क्रिया
D.डाई फ्रॉक
B. वाइटल
C.किण्वन क्रिया
D.डाई फ्रॉक
7 मनुष्य के श्वसनमार्ग से अन्दर आने वाली वायु के ताप एवं नमी नियमन के कार्य में सहायक झिल्ली है
A. नासा झिल्ली
B. श्लेष्म कला
C.नासावेश्म
D.इनमें से कोई नहीं
B. श्लेष्म कला
C.नासावेश्म
D.इनमें से कोई नहीं
8 श्वसन के दौरान सर्वाधिक मात्रा में कौन सी गैस छोड़ी जाती है?
A. ऑक्सीजन
B. कार्बन डाइऑक्साइड
C.नाइट्रोजन
D.इनमें से कोई नहीं
B. कार्बन डाइऑक्साइड
C.नाइट्रोजन
D.इनमें से कोई नहीं
9 वायु कोषों की बाह्य सतह पर किसका जाल फैला होता है।
A. शिरा
B. धमनी
C.लसीका वाहिनियों
D.रूधिर केशिकाओं
B. धमनी
C.लसीका वाहिनियों
D.रूधिर केशिकाओं
10 गहरी सांस लेने पर कितने लिटर गैस ग्रहण की जाती है?
⇨ A. 6
B. 4.5
C. 1.5
D. 3.5
B. 4.5
C. 1.5
D. 3.5
11 वायुकोष किन कोशिकाओं से बना होता है?
A. स्तम्भी उपकला से
B. शल्की उपकला से
C. ग्रन्थिल उपकला से
D.घनाकार उपकला से
B. शल्की उपकला से
C. ग्रन्थिल उपकला से
D.घनाकार उपकला से
12 दायां फेफड़ा कितने पिंडों में बँटा होता है
A. 3
B. 1
C. 2
D.5
B. 1
C. 2
D.5
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मानव रोग
विटामिन की कमी से होने वाले रोग
⇨विटामिन A – र –रेटिनाल
⇨विटामिन B – थ –थायमीन
⇨विटामिन C – ए –एस्कार्बिक अम्ल
⇨विटामिन D – क –कैल्सीफ़ेरोल
⇨विटामिन E – टा –टोकोफ़ेराल
⇨विटामिन K – फी –फ़िलिक्वोनोन
मानव रोग
⇨जैविक कारक :-
⇨विषाणु, जीवाणु, माइकोप्लाज्म, कवक, प्रोटोजोआ, हैल्मिन्थीज तथा अन्य जीव।
पौष्टिक तत्व :-
⇨प्रोटीन,कार्बोहाइड्रेट, वसा, खनिज लवण
⇨एवं विटामिनों की कमी।
⇨एवं विटामिनों की कमी।
भौतक कारक :-
⇨सर्दी, गर्मी, आर्द्रता, दबाव, विद्युत,
⇨विकिरण, ध्वनि आदि।
⇨विकिरण, ध्वनि आदि।
यान्त्रिक कारक :-
⇨निरन्तर अधिक समय घर्षण, चोट लगना, अस्थि टूटना, मोच आना आदि।
रासायनिक कारक :-
⇨यूरिया तथा यूरिक अम्ल, रासायनिक प्रदूषक जैसे पारा, लैड, ओजोन, कैडमियम, निकिल, कोबाल्ट आदि।
पदार्थों की अधिकता :-
⇨अधिक भोजन खाने से, हार्मोनों के अधिक स्रावण से, प्रदूषकों की अधिकता से रोग उत्पन्न होते हैं।
⇨एलर्जी (Allergi) :- इसमें व्यक्ति किसी पदार्थ के प्रति अत्यन्त संवेदनशील हो जाता है। ये पदार्थ जब प्रोटीन होते हैं तो इन्हें एन्अीजेन (प्रतिजन) कहते हैं। शरीर इन प्रतिजनों के खिलाफ कुछ प्रोटीन पदार्थ बनाता है जिसे प्रतिरक्षी (Anti Bodies) कहते हैं। जब कोई पदार्थ जिसके प्रति शरीर संवेदनशील होता है, शरीर में प्रवेश करता है तो ये प्रतिरक्षी उस पर आक्रमण करते हैं। फलस्वरूप हिस्टामीन नामक पदार्थ कुछ कोशिकाओं से निकलता है और यही हिस्टामीन रक्त द्वारा श्लेष्मकला या त्वचा तक पहुँचकर एलर्जिक लक्षण जैसे छीक आना, सांस फूलना, पित्ती, खुजली आना तथा आँखों में पानी आना आदि लक्षण उत्पन्न करता है।
⇨गठिया (आर्थराइटिस) :- इस रोग से यूरिक अम्ल शरीर के बाहर न निकल पाने के कारण शरीर के जोड़ों (Joints) में एकत्र हो जाता है जिससे वहाँ पर दर्द तथा सूजन उत्पन्न हो जाती है और यह रोग सीधे तौर पर भोजन पर निर्भर करता है।
⇨ ल्यूकेमिया क्या है – रक्त का कैंसर
⇨ डिफ्थीरिया रोग शरीर के किस भाग को प्रभावित करता है – गले को
⇨ प्लेग का वाहक क्या है – पिस्सू (Rat Fly)
⇨ बहु औषधि उपचार (Multi Drug Therapy) किसके उपचार हेतु दी जाती है – कुष्ठ निवारण हेतु
⇨ सिफलिस, गोनोरिया तथा एड्स को किस प्रकार का रोग कहा जाता है –
लैंगिक संचरित रोग
लैंगिक संचरित रोग
⇨ चीनोपोडियम का तेल किस रोग में प्रयुक्त किया जाता है – ऐस्केरियेसिस
⇨ फीता कृमि का संक्रमण होता है – सुअर का अधपका मांस खाने से
⇨ डेगू ज्वर किस मच्छर से फैलता है – एडीज इजिपटी
⇨ वइरस के उपचार में प्रयोग किया जाता है – इंटरफेराॅन (Interferon)
⇨ गठिया रोग में जोड़ों में किस अम्ल का जमाव से जाता है – यूरिक अम्ल
⇨ एफ्लाटाॅक्सिन पदार्थ किस कैंसर को उत्पन्न करते हैं – यकृत कैंसर
⇨ रोडेन्ट अल्सर है – त्वचा कैंसर जो चेहरे को प्रभावित करता है
⇨पसीने में पाये जाने वाले विषाणु नाशक एंजाइम का नाम – लाइसो जाइम
⇨प्रजिनों के जवाब में प्रतिरक्षी तन्त्र कौन-सी कोशिकाएँ उत्पन्न करता है – एण्टीबाॅडी
⇨पोलियो का विषाणु कौन से ऊतक को नष्ट करता है – मेरुरज्जु के पृष्ठ श्रृंगों को
⇨फील पांव का कारक कौन है – वूचेरिया बैंक्रोफ्टाई
⇨सभी कोशिकाओं में’आंकोजीन्स’ (Onchogenes) उपस्थित होता है, किसी कारण से ये आंकोजीन्स सक्रिय हो जाती हैं तथा कैन्सर कोशिकाएँ उत्पन्न करने लगती हैं।
⇨कैंसर को तीन समूहों – कार्सीनोमा, सार्कोमा, ल्यूकीमिया में बाँटा गया है। कार्सीनोमा एक्टोडर्म उद्गम के ऊतकों में होता है। जैसे स्तन कैंसर, फेफड़ों का कैंसर आदि। सार्कोंमा कैंसर मीसोडर्म उद्गम के ऊतकों में होता है जैसे अस्थि कैंसर, लसिका गांठें, त्वचा कैंसर आदि।
⇨सुक्ष्मजीव जो रोग उत्पन्न करते हैं – पैथोजन
⇨रोगों का अध्ययन – पैथोलाजी।
⇨जीवाणु की खोज किसने की- ल्यूवेनहॅाक
■जीवाणु जनित रोग■
⇨1. टायफाइड/मोतीझरा/मियादी बुखार/आंत्र बुखार
◆प्रभावित अंग – आंते(पाचन तंत्र)
◆माध्यम – दुषित जल
◆कारक – साल्मोनेला टाईफी
◆टीका – TAB/O.T.V.(Oral Typhoid Vaccine)
◆टेस्ट – विडाल टेस्ट
⇨2.टी.बी./तपेदिक/क्षय रोक/काक रोग
◆प्रभावित अंग – फेफड़ा(श्वसन तंत्र)
◆मााध्यम – वायु
◆कारक – माइकोबैक्टीरिया टयुबर कुलोसीस
◆टीका – BCG(Bacille Calmette Guerin)/DOTS(Directly Observed Treatment, Short-Course)
◆टेस्ट – मोनटोक्स
⇨3. टिटेनस/धनुर्वात/धनुष्टंकार/लाॅक-जाॅ
◆प्रभावित अंग – तंत्रिका तंत्र
◆माध्यम – मिट्टी, जंग लगी वस्तु, खुले घाव द्वारा
◆कारक – क्लोस्ट्रीडियम टिटेनी
◆टीका – ATS(Anti Tetanus Serim)
⇨4. परट्यूसिस/काली खांसी/कुकर खांसी
◆प्रभावित अंग – फेफड़ा(श्वसन तंत्र
◆माध्यम – वायु
कारक – हीमोफिलस परटूसिस
◆टीका – DTP(diphtheria, pertussis (whooping cough), and tetanus)
⇨5. डिप्थीरिया/रोहिणी
◆प्रभावित अंग – गला
◆माध्यम – कच्चा दुध
◆कारक – कोरिनेबैक्टीरियम डिप्थेरी
◆टीका – DTP
⇨6. कोढ़/कुष्ठ
◆प्रभावित अंग – त्वचा/तंत्रिका कोशिका
◆माध्यम – वायु
◆कारक – माइकोबैक्अिरियम लैप्री
◆टिका – MDT(multidrug therapy)/BCG
⇨7. हैजा/कोलेरा
◆प्रभावित अंग – आंते(श्वसन तंत्र)
◆कारण – निर्जलीकरण
◆उपाय – ORS
⇨8. प्लेग
◆प्रभावित अंग – रूधिर वाहिनियां
◆वाहक – चूहे पर पाए जाने वाले पिस्सू
⇨9. निमोनिया
◆प्रभावित अंग – फेफड़ा(श्वसन तंत्र)
◆माध्यम – वायु
⇨10. भोजन विषाक्तता
◆प्रभावित अंग – पाचन तंत्र/आंते
◆कारक – निर्जलीकरण/क्लोस्ट्रीडियम बोटूलिनियम
■विषाणु
◆खोज – इवालोवेस्की ने तंबाकू के पत्ते में मोजैक रोग
◆पहला विषाणु -TMV( tobacco mosaic virus
⇨सजीव व निर्जीव के बीच की कड़ी
■विषाणु जनित रोग
⇨1. डेंगु/पीत ज्वर/हड्डी तोड़ बुखार
◆प्रभावित अंग – यकृत
◆वाहक – एडिज मच्छकर
◆टेस्ट – टॅार्नीक्वेट टेस्ट
⇨3. खसरा
◆प्रभावित अंग – यकृत
◆माध्यम – वायु
⇨4. गलसुआ – लार ग्रंथि – जीवन में एक बार
⇨6. चेचक
◆प्रभावित अंग – त्वचा(स्थायी निशान)
◆कारक – वेरिओला वायरस
⇨7. छोटी चेचक
◆प्रभावित अंग – त्वचा(अस्थायी निशान)
◆कारक – वेरिसेला वायरस
◆टीका – मृत या निष्क्रीय रोगाणु
◆खोज – एडवर्ड जेनर
⇨8. पीलिया/हेपेटाइटिस
◆प्रभावित अंग – यकृत
◆माध्यम – दूषित जल
⇨ 9. पोलियो
◆प्रभावित अंग – मेरूरज्जु(तंत्रिका तंत्र)
◆दवाई – साल्क वैक्सीन/OPV(Oral polio vaccine)
◆पोलियो दिवस – 24 अक्टुबर
⇨10. फ्लू/इन्फ्लुएंजा
◆प्रभावित अंग – श्वसन तंत्र
◆माध्यम – वायु
⇨11. स्वाइन फ्लू
◆प्रभावित अंग – फेफड़ा(श्वसन तंत्र)
◆कारक – H1N1
◆वाहक – सुअर
◆दवा – टमीफ्लू
⇨12. बर्ड फ्लू
◆कारक -H5N1,H9N2
◆वाहक – मुर्गी
⇨13. रेबिज/हाइड्रोफोबिया
◆प्रभावित अंग – मस्तिष्क व मेरूरज्जु(तंत्रिका तंत्र)
◆कारक – रहबड़ो वायरस
◆वाहक – कुत्ता, बिल्ली, बंदर, लोमड़ी आदि की लार
◆एंटीरेबिज का टीका – लुईस पाश्चर
⇨14. सार्स/किलर निमोनिया
◆प्रभावित अंग – फेफड़ा(श्वसन तंत्र)
◆कारक – कोरोना वायरस
◆उद्भव – 2003 में चीन के ‘युआंग डोंग‘ शहर में
⇨15. एड्स/आतशक(यौन संक्रमित रोग)
AIDS-Acquired Immune Deficiency Syndrome
◆कारक – HIV-Human immunodeficiency virus (रिट्रोवायरस)
◆लक्षण – रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाती है।
◆दवा – एंटीरिट्रोवायरल (ART),एजिडो थायमिडीन(AZT)
◆टेस्ट -elisa(Enzyme Linked Immuno Sorbent Assay), वेस्टर्न ब्लाट टेस्ट
◆प्रथम रोगी – कैलिफोर्निया (USA – 1981)
◆भारत में प्रथम रोगी – चेन्नई 1986
◆राजस्थान में प्रथम रोगी – पुष्कर(अजमेर)
◆एड्स दिवस – 1 दिसम्बर
◆लोगो – लाल रिबन
■हेल्मिन्थिज जनित रोग
⇨1. बाला या नारू
◆कारक – ड्रेकनकुलस मेडिनेन्सिस नामक कृमि
◆माध्यम – पानी(तालाब, नाड़ी)
◆वाहक – साइक्लोप्स
◆रोकथाम – साइक्लोप्स को नष्ट करने हेतु तालाबों में बारबेल मछलियां छोड़ी जाती है।(जैविक नियंत्रण)
◆राज्य में सन् 2000 के बाद इसका कोई रोगी नहीं पाया गया।
⇨2. हाथिपांव
◆प्रभावित अंग – हाथ पैर, छाती आदि सुज जाते हैं।
◆कारक – वचेरिया बैंक्राप्टाई कृमि
◆वाहक – एडीज मच्छर
◆दवा – डाइईथाइल कार्बेमेजीन
■अनुवांशिक रोग■
◆वे रोग जो माता या पिता से बच्चों तक पहुंचते हैं। या पीढ़ी दर पीढ़ी चलते हैं।
⇨1.हीमोफीलिया(राॅयल बिमारी)
◆हीमोफीलिया के जीन …… लिंग गुणसूत्र पर पाए जाते हैं
◆वाहक – माता, स्वंय रोग ग्रसित नहीं होती।
◆प्रभाव – खुन का थक्का देरी से बनता है।
⇨2. वर्णान्धता
◆इसके जिन भी X लिंग गुणसुत्र पर पाए जाते हैं।
◆वाहक – माता, स्वंय रोग ग्रसित नहीं।
◆प्रभाव – लाल व हरे रंग में विभेद नहीं कर सकते।
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विषय निर्माता
शैलेन्द्र सिंह ठाकुर 7748983721
शैलेन्द्र सिंह ठाकुर 7748983721
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